भारत में, कोर्ट मैरिज के लिए आयु सीमा विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (विभिन्न धर्मों या जातियों के व्यक्तियों के बीच सिविल विवाह के लिए) और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (हिंदुओं और कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के लिए) द्वारा नियंत्रित होती है। इन अधिनियमों के अनुसार आयु सीमा इस प्रकार है: 1. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत आयु सीमा: पुरुषों के लिए: न्यूनतम आयु 21 वर्ष है। महिलाओं के लिए: न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। मुख्य बिंदु: विवाह को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए दुल्हन और दूल्हे दोनों की निर्दिष्ट न्यूनतम आयु होनी चाहिए। दोनों अधिनियमों के तहत कोर्ट मैरिज के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है, अर्थात व्यक्ति किसी भी उम्र में विवाह कर सकते हैं, बशर्ते वे न्यूनतम आयु की आवश्यकता पूरी करते हों। कोर्ट मैरिज के लिए अतिरिक्त आवश्यकताएँ: दोनों पक्षों का संबंध की निषिद्ध सीमा (जैसे निकट रक्त संबंध या वैवाहिक संबंध) नहीं होना चाहिए। दोनों पक्षों को विवाह के लिए स्वतंत्र सहमति देनी होगी। विवाह कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में संस्कारित होना चाहिए। जोड़े को विवाह से कम से कम 30 दिन पहले विवाह अधिकारी के कार्यालय में इच्छित विवाह की सूचना देनी होगी। इस अवधि के दौरान, विवाह पर कोई भी आपत्ति उठाई जा सकती है। 30 दिनों की प्रतीक्षा अवधि के बाद, यदि कोई आपत्ति नहीं है, तो विवाह अधिकारी की उपस्थिति में विवाह संपन्न हो जाता है। निष्कर्ष: भारत में कोर्ट मैरिज के लिए न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है, इसलिए किसी भी आयु का व्यक्ति, बशर्ते वह न्यूनतम आयु की आवश्यकता को पूरा करता हो, कानूनी रूप से कोर्ट के माध्यम से विवाह कर सकता है।
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